विद्यार्थियों
आज हम आरोह पुस्तिका का तीसरा अध्याय करेंगे - पथिक (कवि रामनरेश त्रिपाठी)
आज हम आरोह पुस्तिका का तीसरा अध्याय करेंगे - पथिक (कवि रामनरेश त्रिपाठी)
प्रश्न- पथिक का मन कहां विचरना चाहता है ?
उत्तर -
पथिक प्रकृति के सौंदर्य से अभिभूत है | प्रतिक्षण नूतन वेश धारण करने वाली बादलों की
पंक्ति को तथा नीले समंदर की लहरों को देखकर वह मुग्ध हो रहा है | पथिक का मन
नीले अकाश और नीले समुद्र के बीच विचार ना चाहता है | उसका मन चाहता है कि वह
बादलों पर बैठकर आकाश के बीच विचरण करें और प्रकृति के समस्त सौंदर्य का अनुभव
करें |
प्रश्न- सूर्योदय वर्णन के लिए किस तरह के बिंबो का प्रयोग हुआ है ?
उत्तर -
सुबह के सूरज की लालिमा जब समुद्र तल पर पड़ती है | तो चारों तरफ लालिमा बिखरती
हैं | कवि ने कल्पना की है कि मानो लक्ष्मी का मंदिर है और लक्ष्मी के स्वागत के लिए बनाई
गई सुनहरी सड़क है | कवि को ऐसा प्रतीत होता है कि सूर्य उसमंदिर का उज्जवल कअंगूरा
है और लक्ष्मी की सवारी को इस पुण्य धरती पर उतारने के लिए स्वयं समुद्र देव ने बहुत
सुंदर स्वर्णिम मार्ग बना दिया हो | कवि की कल्पना बहुत ही सुंदर तरीके से बिंबो के रूप
में उभरकर आई है |
प्रश्न- पथिक कविता में कई स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है ऐसे
उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखें?
उत्तर -
श्री राम नरेश त्रिपाठी आधुनिक युग के कवियों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं | त्रिपाठी
जी बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार थे | प्राकृतिक प्रेम और नवीनता के प्रति आग्रह भी उनके
काव्य की प्रमुख विशेषता रही है | पथिक कविता में भी प्रकृति के उपादान ओं को मानव
की भांति करते हुए दिखाया है | जिससे कविता के सौंदर्य अभिवृद्धि हुई है | सूर्य के सामने
बादलों का नाचना कभी श्वेत श्याम नील वर्ण को धारण करना गहरे अंधेरे का मानवीकरण
किया है आधी रात को सारे संसार को जो ढक लेता है | अकाश रूपी छत पर तारों को
बिखरा देता है तब इस जगत का स्वामी मंद गति से चलकर आता है | सागर ओं को अपने
मीठे गीत सुनाता है | आधी रात को जब सूर्य निकलने की तैयारी करता है और धीमी धीमी
गति से चलता हुआ सागर के किनारे अपनी लालिमा भी बिखेरता है | और चांद उसके रूप
को देखकर हंस कर वापसी की तैयारी करता है | पेड़ पत्ते फूल मुस्कुराने लगते हैं पक्षी
चहचाहने लगते हैं | वृक्षों को भी सजे धजे प्रसन्न मनुष्य के रूप में दर्शाया है | फूलों को
सुख की सास लेते हुए प्राणी की भांति दिखाया गया है | इस तरह इस कविता में कई
स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में दर्शाया गया है |
शुभकामनाएं सहित !
नीलम
1 comment:
Thanku Mam
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