Saturday, October 13, 2018

Aroh Chapter 5 Poetry आरोह अध्याय पांचवा काव्य भाग

विद्यार्थियों

आज हम आरोह पुस्तिका काव्य भाग का चौथा अध्याय करेंगे - घर की याद (भवानी प्रसाद मिश्र)

प्रश्न - पानी के रात भर गिरने और प्राण मन के गिरने से परस्पर क्या संबंध है ?
उत्तर -
राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े हुए कवि भवानी प्रसाद मिश्र को भारत छोड़ो आंदोलन के अंतर्गत
जेल यात्रा की यात्रा यातना सहनी पड़ी | यह कविता जब वह जेल में थे | तब उन्होंने लिखी
बहुत वर्षा हो रही है | रात भर वर्षा होने से कवि को अपने घर की याद आ गई घर के सदस्य
के साथ हंसी खेल करते हुए मनोरम दिन ज्यादा गए जिस प्रकार मेघा अकाश से गिरकर
वर्षा ला रहे हैं | उसी तरह कवि का मन यहां परिवार की स्मृतियों से गिरा हुआ है | जैसे जैसे
पानी रात भर लगातार गिरता जा रहा है वैसे-वैसे कवि के लिए में भी अपने परिजनों की
स्मृतियां चलचित्र बनकर निरंतर बढ़ती जा रही है |

प्रश्न - मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को परिताप का घर क्यों कहा है ?
उत्तर -  
कवि सोच रहा है कि उसकी बहन मायके में अनंत खुशियां बांटने आई होगी | सोचा होगा
कि पिता के घर जाकर अपने भाइयों बहनों से मिलूंगी परंतु वहां जाकर उसे पता चला
होगा कि उसका एक भाई जेल में है | उसकी वही खुशियां दुख में बदल जाएंगी | वही
घर उसके लिए दुखों का घर बन गया होगा | इसी कारण बाप के घर को (परिताप का
घर) कहा है |

प्रश्न - पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?
उत्तर -
भवानी प्रसाद मिश्र के पिता की निम्नलिखित विशेषताओं को कार आ गया है -
i) बलिष्ठ शरीर और साहसी   कवि ने अपने पिता का विशालकाय और मजबूत
शरीर और साहसी व्यक्ति दर्शाया है | कभी कहते हैं कि उनके पिता पर बुढ़ापे का कोई
लक्षण दिखाई नहीं देता | वह अभी भी पूरी क्षमता के साथ दौड़ सकते हैं | खिल खिला
सकते हैं | साहस  तो उनमे इतना है कि वह अपने सामने शेर तो क्या मौत को देखकर
भी ना डरे | उनकी आवाज में बादलों जैसी गर्जन है | काम भी तूफान की तरह तेजी से
करते हैं |
ii) धार्मिक प्रवृत्ति - वह सुबह उठकर घर की छत पर जाकर व्यायाम करते हैं |
मुगलद भी जानते हैं | दंड बैठक निकालते हैं | और साथ में गीता का पाठ भी करते हैं |
यह उनकी एक धार्मिक प्रवृत्ति का उदाहरण है |
iii) कोमल हृदय - भवानी प्रसाद मिश्र के पिता मन से भी विशाल और उदार हैं | वह
अत्यंत सरल, भोले, सहृदय और  भावुक है | अपने परिवार जनों से वह गहरा लगाव
रखते हैं | उन के 5 पुत्र है वह सबसे गहरे जुड़े हुए हैं और कवि से उनका विशेष लगाव है |

प्रश्न - निम्नलिखित पंक्तियों में बस शब्द के प्रयोग की विशेषताएं बताइए?
मैं मजे में हूं सही है,
घर नहीं हूं बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब वीरस है |  
उत्तर -
यहां बस शब्द का प्रयोग विशिष्ट है बस शब्द तीन बार प्रयोग किया गया है |
परंतु तीनों बस का अर्थ अलग अलग है | एक बस का विविध प्रकार से अर्थ है | पहले
बस में कवि अपने पिता और परिवार जनों को सांत्वना दे रहा है | केवल मामूली सी बात
है कि मैं घर पर नहीं हूं बस यहां जेल में हूं | दूसरी बार बस शब्द में केवल कवि के मन
की व्याकुलता और पीड़ा का अनुभव होता है | वास्तविकता यही है कि वह घर से दूर है
कि उसकी सहनशक्ति कि मानो चरम सीमा हो गई है | अंतिम बस द्वारा कवि थोड़ा
आशावादी भी है कवि की विभिन्न स्थितियों और भावनाओं को प्रस्तुत किया है | वैसे तो
जेल में मैं मजे से हूं लेकिन घर के लोग लोगों की खुशियों से मैं वंचित हूं यहां बस
निराशावादी चित्रण दे रहा है |

प्रश्न - कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कभी अपनी
किस स्थिति मन: स्थिति को अपने परिजनों से छुपाना चाहता है?
उत्तर -
कवि जेल में है | उसे घर की याद सताती है | बहुत तेज बारिश हो रही है तो वह सावन
को संबोधित करते हुए अपने आप से ही बातें कर रहा है | घर को याद कर रहा है | घर के
लोगों के वियोग से पीड़ित है |  दूसरे सभी लोगों से उसे डर लग रहा है | कहता है कि मैं
आदमी से भी डरने लग गया हूं जेल की यातनाएं सह रहा हूं | शरीर और मन ढलने लगा है |
रात रात भर जागता रहता हूं और चुप रहने लगा हूं | जेल में रहकर अपना अस्तित्व ही भूल
गया हूं | अपनी वास्तविकता छिपाकर सावन के माध्यम से अपने घर में खुशियों के संदेश
भिजवाता हूं | यहां कवि की मन की स्थिति दीवानों जैसी हो गई हैअर्थात उसे घर की याद
आ रही है |  

शुभकामनाएं सहित !

नीलम

Wednesday, October 10, 2018

Aroh Chapter 4 Poetry आरोह अध्याय चौथा काव्य भाग

विद्यार्थियों

आज हम आरोह पुस्तिका काव्य भाग का चौथा अध्याय करेंगे - वे आंखें (सुमित्रानंदन पंत)


प्रश्न -कविता भी आंखें में किसान की पीड़ा के लिए किसे जिम्मेदार बताया गया है?
उत्तर -
किसान की पीड़ा के लिए जमीदार और महाजन तथा क्रूर कोतवाल को जिम्मेदार ठहराया
गया है | महाजन ने अपना ब्याज और ऋण वसूलने के लिए उसके खेत, बैल और घरबार
बिकवा दिया | जमीदार के  कार् कूनो ने किसान के जवान बेटे को पीट-पीटकर मार दिया |
किसान इतना पैसों का मोहताज हो गया कीलाचार किसान अपनी पत्नी की दवा दारू ना
करा सका और वह भी चल बसी | और उसकी दूध मूही बच्ची का भी देहांत हो गया |
किसान की  पुत्रवधू पर भी कोतवाल ने कू दृष्टि डाली | वह भी कुएं में डूब कर मर गई |
समाज को अन् प्रदान करने वाले कृषक से सारा संसार किनारा कर तमाशा देखता रहा |
किसान अकेला ही पीड़ा को सहता रहा और भीतर ही भीतर घुटता रहा |

प्रश्न - पिछले सुख की स्मृति आंखों में क्षणभर एक चमक है लाती | इसमें किसान के
किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर -
वे आंखें कविता में सुमित्रानंदन पंत जी ने किसान के पिछले सुखों की ओर संकेत किया
है | किसान के कवि लहराते हरे भरे खेत  थे | जिन की हरियाली को देखकर उसका तन मन
प्रसन्न हो जाता था | तब वह स्वाधीनता उसी से उसका मस्तक ऊंचा उठता था | घर में बैलों
की जोड़ी थी | दूध देने वाली गाय थी |जो किसान से इतना प्रेम करती थी कि वह किसान
को ही अपना  दूध दोहने देती थी | किसान का भरा पूरा परिवार था | एक जवान बेटा और
बहू थी | किसान की देखभाल करने वाली उसकी अपनी पत्नी थी | वह सुख और समृद्धि से
सुख पूर्वक अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था | परंतु सब कुछ शोषक वर्ग
की भेंट चढ़ गया था | यह उपरोक्त खुशियां, सुख की स्मृतियां किसान की आंखों में क्षण
भर के लिए चमक ला देती थ |

प्रश्न - किसान की  विरान आंखें नॉक सदृश बन जाती हैं क्यों ?
उत्तर -
किसान बहुत खुश और धन-धान्य से भरपूर अपने परिवार में बहुत खुश था | लेकिन आज
उसकी दुर्दशा जो है उसे अपनी विवशता और असहायता पर रोना आता है | वह महाजन
का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता | यह सोच कर उसकी आंखें नम हो जाती है | कोतवाल
पर उसका जोर नहीं चलता |जमीदार के दुख वह सहता गया | यह सभी बातें उसकी आंखें
तीर के समान नुकीली हो जाती है औरऐसा लगता है मानो वह अत्याचारों की छाती को भेद
डालेगी |

प्रश्न - संदर्भ सहित आश्य स्पष्ट करें :
क - ऊजरी उसके सिवा किसे कब
       पास दुहाने आने देती?
ख - घर में विधवा रही पतोहू
       लक्ष्मी थी, यद्यपि पति घातिन
उत्तर -
क - आंखें कविता में किसान के पास एक श्वेत गाय थी | जिसका नाम ऊजरी था |
जिसे वह बहुत प्रेम करता था | महाजन ने ब्याज की कोड़ी कोड़ी वसूलने के लिए किसान
की बैलों की जोड़ी तथा गाय को नीलाम कर दिया | किसान को अपनी गाय की बहुत याद
आ रही थी कि दूध  दुहाने के लिए किसान  के अतिरिक्त किसी को पास नहीं आने देती थी |
आज सबकुछ उससे छीन गया |

ख- उपरोक्त  पंक्तियां  महाजन के कारकूनो  किसान के जवान पुत्र को मार डाला |
इसी कारण उसकी पुत्रवधू विधवा हो गई | उसकी इसी  स्थिति का चित्रण करते हुए कवि
कहता है की किसान का पुत्र नहीं रहा | उसके उसके पीछे उसकी विधवा पुत्रवधू रह गई जो
कहने का तो नाम से लक्ष्मी थी | परंतु वह पति को खाने वाली थी | कवि ने इन पंक्तियों में
समाज में विधवाओं के प्रति अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण को व्यक्त किया है | कोई कसूर
ना होते हुए भी किसान की पुत्रवधू को पति घातिन होने का कलंक सहना पड़ रहा है |

शुभकामनाएं सहित !

नीलम