Friday, August 24, 2018

Grammar mass communication व्याकरण जनसंचार की विधाएं

विद्यार्थियों

जनसंचार को समझने के लिए संचार के स्वरूप को समझना बहुत जरूरी है |

प्रश्न -  संचार क्या है?
उत्तर -
मनुष्य सामाजिक प्राणी है सामाजिक प्राणी होने के कारण वह संचार करता है | संचार का मतलब
विचरण करना | दैनिक जीवन में संचार के बिना हम जीवित नहीं रह सकते | क्योंकि मनुष्य जब
तक जीवित है | संचार अर्थात विचरण करता रहेगा | हम यह भी कह सकते हैं कि समाचार जीवन
की निशानी है | हम जिस संचार की बात कर रहे हैं | उसका अर्थ है मानव के संदेशों को पहुंचाना
अर्थात संदेश भेजना प्राप्त करना इसके दो अनिवार्य लक्षण है |
1. दो या दो से अधिक व्यक्ति
2. उनके बीच किसी संदेश का ग्रहण होना या संप्रेषण होना |
संचार जो है अनुभवों की साझेदारी है | संचार की परिभाषा इस प्रकार हम कह सकते हैं | सूचनाओं
विचारों और भावनाओं को लिखित, मौखिक या दृश्य- श्रव्य माध्यमों के जरिए सफलतापूर्वक एक
जगह से दूसरी जगह पहुंचाना ही संचार है |

प्रश्न - संचार के साधन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर -
वह साधन हमारे संदेश को पहुंचाते हैं  जैसे समाचार पत्र, फिल्म, टेलीफोन रेडियो, दूरदर्शन,
इंटरनेट, सिनेमा और फक्स आदि |


प्रश्न - संचार की प्रक्रिया के तत्व कौन कौन से हैं ?
उत्तर -
संचार की प्रक्रिया के निम्नलिखित तत्व है |
- संचारक या स्त्रोत
- संदेश का कुटीकरण
- संदेश का  कूटवाचन
- प्राप्तकर्ता

प्रश्न - संचार के विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डालिए ?
उत्तर -
संचार के निम्न प्रकार है |
- सांकेतिक संचार
- मौखिक संचार
- समूह संचार
- अंत: र्वैयक्तिक  संचार
- जनसंचार

प्रश्न - फीडबैक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर -
कुट्टी कृत संदेश के पहुंचने पर प्राप्तकर्ता अपनी प्रतिक्रिया करता है |
इससे पता चलता कि संचारक का संदेश प्राप्त करता तक पहुंच गया |

प्रश्न - एनकोडिंग या कुटीकरण का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर -
संदेश को भेजने के लिए शब्दों संकेतों या ध्वनि चित्रों का उपयोग किया जाता है | भाषा भी
एक प्रकार का कोट चिन्ह या कोड  होता है | अतः प्राप्तकर्ता को समझाने योग्य कुटों में
संदेश को बांधना एनकोडिंग या कुटीकरण कहलाता है |

प्रश्न - कूट वाचन या डिकोडिंग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर -
कुटीकरण की उल्टी प्रक्रिया कूट वाचन कहलाती है | इसके माध्यम से संदेश को प्राप्त करता
कूट चिन्हों में बंधे संदेश समझाता है | इसके लिए आवश्यक है कि प्राप्तकर्ता भी कोड का
वही अर्थ समझता हूं | जो उसे संचारक समझाना चाहता है |

प्रश्न - सांकेतिक संचार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - सांकेतिक संचार का आर्थिक संकेतों द्वारा संदेश पहुंचाना | मनुष्य का हाथजोड़ना, पांव
छूना, हाथ मिलाना, मुट्ठी कसना, सिग्नल देना, लाल बत्ती होना, हरी बत्ती होना आदि सांकेतिक
संचार है |

प्रश्न - समूह संचार का क्या आशय है?
उत्तर -
एक से अधिक व्यक्तियों से बात करता है  | किसी समूह के सदस्य आपस में विचार विमर्श करते हैं
तो उसे समूह संचार कहते हैं | अध्यापक का कक्षा में पढ़ाना किसी संस्था की बैठक होना, जलसा
या जुलूस  मैं वार्तालाप कोई एक व्यक्ति बात करता है और वह सबके लिए करता है | वह सामूहिक
मुद्दों पर की गई वार्ता समूह संचार के अंतर्गत ही आती है |

प्रश्न - जनसंचार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर -
जनसंचार नहीं सभ्यता का शब्द है जब संचार किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के जरिए समाज
के विशाल वर्ग से संवाद करने की कोशिश की जाती है तो उसे जनसंचार कहते हैं | इसमें एक संदेश
को यांत्रिक माध्यम के जरिए बहुगुणित किया जाता है | ताकि उसे अधिक से अधिक लोगों तक
पहुंचाया जा सके |

जनसंचार की प्रमुख विशेषताएं -
- जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या  प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है |
- इसमें संचालक और प्राप्तकर्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता |
- इस माध्यम में अनेक द्वार पाल होते हैं जो इन माध्यमों  से प्रकाशित /प्रसारित होने वाली सामग्री
को नियंत्रण तथा निर्धारित करते हैं |

प्रश्न - जनसंचार माध्यमों में द्वारपालों की भूमिका क्या है ?
उत्तर -
जनसंचार  माध्यमिक में द्वारपालों की भूमिका महत्वपूर्ण है | यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह
सार्वजनिक हित, पत्रकारिता के सिद्धांतों, मूल्यों और आचार संहिता के अनुसार सामग्री को संपादित
करें तथा इसके बाद ही उनके प्रसारण या प्रकाशन को इजाजत दे |

प्रश्न - जनसंचार के कौन-कौन से कार्य हैं स्पष्ट करें?
उत्तर -
जनसंचार के निम्नलिखित कार्य हैं  |
1. सूचना देना - जनसंचार माध्यमों का प्रमुख कार्य सूचना देना है यह दुनिया भर से सूचनाएं
प्रसारित करते हैं |
2. मनोरंजन - जनसंचार माध्यम सिनेमा रेडियो-टीवी आदि मनोरंजन के भी प्रमुख साधन है |
3. जागरूकता - यह जनता को शिक्षित करते हैं जनसंचार माध्यम लोगों को जागरूक बनाते हैं |
4. निगरानी - जनसंचार माध्यम सरकार और संस्थाओं के कामकाज पर निगरानी भी रखते हैं |
5. विचार विमर्श के मंच - यह माध्यम लोकतंत्र में विभिन्न विचारों की अभिव्यक्ति का मंच
उपलब्ध कराते हैं इसके जरिए विभिन्न विचार लोगों के सामने पहुँचाते हैं |

प्रश्न - जनसंचार के माध्यमों को आम जीवन पर क्या प्रभाव है ?
उत्तर -
जनसंचार माध्यमों का आम जीवन पर बहुत प्रभाव है इनसे सेहत, अध्यात्मक, दैनिक जीवन
की जरूरतें हैं आदि पूरी होने लगी है | यह हमारी जीवनशैली को प्रभावित कर रहे हैं |

प्रश्न - लोकतंत्र में जनसंचार माध्यमों का प्रभाव बताइए ?
उत्तर -
लोकतंत्र में जनसंचार माध्यमों में जीवन को गतिशील व पारदर्शी बनाया है | इससे माध्यम में
विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श व  बहस होती है | सूचनाओं में जानकारियों का आदान प्रदान
होता है | जो सरकार की कार्यशैली पर अंकुश रखती है | लोकतंत्र को सशक्त बनाती है |

प्रश्न - जनसंचार के दुष्प्रभाव बताइए?
उत्तर -
1. जनसंचार के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को कम महत्व दिया जाता है |
2.  समाज में अश्लीलता व सामाजिक व्यवहार को बढ़ावा देते हैं |
3.  जनसंचार के माध्यम खास तौर पर TV वेब सिनेमा ने लोगों को काल्पनिक दुनिया की
सैर कराई है | यह आम जनजीवन से दूर हो जाते हैं | यह पलायनवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं |
4. अनावश्यक मुद्दों को उछाला जाता है |
5. कई बार बहुत छोटी बात को बहुत बढ़ा चढ़ाकर बताया जाता है |


शुभकामनाएं सहित !

नीलम

Saturday, August 18, 2018

Aroh Chapter 4 Literature आरोह अध्याय 4 गद्य भाग

विद्यार्थियों

आज हम आरोह पुस्तिका का अध्याय 4 गद्य भाग - विदाई संभाषण
(बालमुकुंद गुप्त) करेंगे |


प्रश्न - लार्ड कर्जन को इस्तीफा क्यों देना पड़ गया?
उत्तर -
लॉर्ड कर्जन भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के वायसराय बन कर आया | उसमें भारत में अंग्रेजी
साम्राज्य की जड़े मजबूत करने और उनका वर्चस्व स्थापित करने का हर संभव प्रयास किया |
भारत के लोगों पर भी उसने अनेक दमनकारी नीतियां बनाकर अधिकार जमा लिया था | लार्ड
कर्जन के इस्तीफे के दो कारण थे |
1. बंग भंग की योजना को मनमाने ढंग से लागू करने के कारण सारे भारतवासी उसके विरुद्ध
उठ खड़े हुए | इस से कर्जन की जड़े हिल गई | वह इंग्लैंड वापस जाने के बहाने ढूंढने लगा |
2. कर्जन ने फौजी अफसर को अपनी इच्छा से  नियुक्त करना चाहा | दबाव बनाने के लिए
उसने इस्तीफा देने की बात कही  उसने सोचा नहीं था कि उनके रुतबे को देखते हुए अंग्रेजी
सरकार उनकी बात मान लेगी | लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसके विपरीत अंग्रेजी सरकार ने उनका
इस्तीफा ही मंजूर कर दिया और इंग्लैंड वापिस जाना पड़ा |

प्रश्न - शिव शंभू की दो गायों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर -
शिव शंभू की दो गायों  के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि भारत के पशु हो या
मनुष्य अपने संगी-साथियों के साथ गहरा लगाव रखते हैं | चाहे वह आपस में लड़ते झगड़ते
भी हो तो भी उनका परस्पर प्रेम अटूट होता है | एक दूसरे से विदा होते समय वह दुख का
अनुभव करते हैं | लेखक यह बताना चाहता कि भारत देश में भावनाएं प्रदान है | इसी प्रकार
लॉर्ड कर्जन ने भारत में रहते हुए भारत वासियों को बहुत दुख पहुंचाया है | भारत वासियों को
पतन की ओर धकेला है | फिर भी भारतवासियों को उसकी विदाई पर गहरा दुख अनुभव हो रहा है |

प्रश्न - नादिरशाह से भी बढ़कर जिद्दी है लॉर्ड कर्जन के संदर्भ में क्या आपको यह बात सही
लगती है पक्ष और विपक्ष में तर्क दीजिए ?
उत्तर -  
जी हां, कर्जन के संदर्भ में ही हमें यह बात सही लगती है | क्योंकि नादिरशाह एक बड़ा ही क्रूर
राजा था | उसने दिल्ली में कत्लेआम करवाया था | परंतु आसिफजहा ने तलवार गले में डाल
कर उसके आगे समर्पण कर के कत्लेआम रोकने की प्रार्थना की तो तुरंत नादिरशाह ने कत्लेआम
रोक दिया गया | परंतु जब लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया 8 करोड़ भारत वासियों
की ओर से विनती बार-बार हो रही थी | परंतु उसने अपनी जिद नहीं छोड़ी इस संदर्भ में कर्जन
की जिद्द नादिरशाह से भी बड़ी है लॉर्ड कर्जन नादिरशाह से भीअधिक क्रूर था | उसने जनहित
की अपेक्षा की है |

प्रश्न - 8 करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद ना करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान
नहीं दिया यह किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर -
लेखक बाबू बालमुकुंद जी यहां बंगाल के विभाजन की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत करते
हैं | लार्ड कर्जन दो बार भारत का वायसराय बनकर आया |उसने भारत पर अंग्रेजी का प्रभुत्व
स्थाई करने के लिए अनेक काम किए | भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं को कुचलने के लिए
उन्होंने बंगाल का विभाजन की योजना बनाई | देश की जनता कर्जन की ओर इस चाल को
समझ गई | उन्होंने इस योजना का विरोध भी किया | परंतु भारतीय लोग पूरी तरह असहाय
और लाचार थे | भारत के लोग बंगाल का विभाजन नहीं चाहते थे | किंतु उसने अपनी मनमानी
करते हुए बंगाल को दो टुकड़ों में बांट दिया | पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल लेकिन भारत
से जाते-जाते उन्होंने बंगाल का विभाजन कर दिया | यद्यपि उनका भारत में वायसराय बनने का
कार्यकाल भी समाप्त हो चुका था |

प्रश्न -  क्या  शान आप की देश में थी अब क्या हो गई कितने ऊंचे   होकर आप कितने
नीचे गिरे पाठ के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए  ?
उत्तर -
लॉर्ड कर्जन को संबोधित करते हुए लेखक कहते हैं कि कुछ समय पहले तक भारत और
ब्रिटिश साम्राज्य में आपकी जड़े बहुत मजबूत थी | लेकिन अब आप ने अपना मान सम्मान
खो दिया | भारत में आपका बड़ा रुतबा था | दिल्ली दरबार में उनका वैभव चरम सीमा पर था |
पति-पत्नी की कुर्सी सोने की थी | उनका हाथी सबसे ऊंचा और सबसे आगे रहता था | सम्राट
के भाई का स्थान भी उनसे कम था | उनके  इशारे पर प्रशासक ,राजा, धनीआदमी नाचते थे |
उनके संकेत पर बड़े-बड़े राजाओं को मिट्टी में मिला दिया गया और बहुत से निकम्मों को बड़े
पदों पर रखा गया | परंतु बाद में यह स्थिति थी कि एक फौजी अफसर को भी आपके कहने
के अनुसार ब्रिटिश सरकार ने नहीं रखा | इससे भारत और ब्रिटिश साम्राज्य दोनों जगह पर
आप का अपमान हुआ | आप बहुत ऊंचे उठकर भी बहुत नीचे गिर गए |

शुभकामनाएं सहित !

नीलम

Wednesday, August 15, 2018

Aroh Chapter 3 Literature आरोह अध्याय तीसरा गद्य भाग

विद्यार्थियों

आज हम आरोह पुस्तिका का अध्याय तीसरा गद्य भाग - अप्पू के साथ ढाई साल
(सत्यजीत राय) करेंगे |


प्रश्न - पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला ?
उत्तर -
पथेर पांचाली फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक इसलिए चला इसके कई कारण थे |
1. इस फिल्म के फिल्मकार  सत्यजीत राय के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे | पैसे खत्म होने के
बाद फिर से पैसे जमा होने तक  शूटिंग स्थगित रखनी पड़ती थी |
2. फिल्मकार स्वयं एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी करते थे और उसे नौकरी के काम से जब
फुर्सत मिलती थी तब शूटिंग होती थी |
3. बीचों-बीच पात्रों स्थानों दृश्य आदि की भी समस्याएं आ जाती थी |
4. बारिश धूप अंधेरा प्रकाश उसकी भी समस्या आ जाती थी |
5. आसपास  भीड़ वाले लोगों के कारण उत्पन्न समस्याएं | जैसे सुबोध दा, धोबी की समस्या,
कुत्ते का मर जाना और एक पात्र मिठाई वाला मर जाता है | उसकी जगह पर वैसा ही मिलते
जुलते आदमी की तलाश करने के कारण भी शूटिंग कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी |
6. स्थान से संबंधित समस्याएं जैसे काश के फूल का नष्ट हो जाना कमरे में सांप निकल
आना फिर से फूलों के लिए पूरा साल इंतजार करना |

प्रश्न - किन दो  दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब
अपनाई गई है ?
उत्तर -
प्रथम दृश्य इस दृश्य में भूलो नामक कुत्ते को  अप्पू की मां द्वारा गमले में भात खाते हुए
चित्रित करना था | परंतु पैसे खत्म होने के कारण यह दृश्य चित्रित ना हो सका 6 महीने
के बाद लेखक पुनः उस स्थान पर गया तब तक कुत्ते की मौत हो चुकी थी | काफी प्रयास
के बाद उसे मिलता जुलता कुत्ता मिला और उसे भात खाते हुए उस दृश्य को पूरा किया गया |
यह दृश्य इतना स्वभाविक था कि कोई भी दर्शक उसे पहचान नहीं पाया कि कुत्ता बदला हुआ
है |
दूसरा दृश्य  इस दृश्य में श्रीनिवास नामक व्यक्ति मिठाई वाले की भूमिका निभा रहा था |
बीच में शूटिंग रोकनी पड़ी दोबारा उस स्थान पर जाने से पता चला कि उस व्यक्ति का देहांत
हो चुका है  | लेखक ने मिलते-जुलते व्यक्ति को लेकर बाकी दृश्य फिल्म आया | पहला
श्रीनिवास आसमान से बाहर आता है और दूसरा श्रीनिवास कमरे की ओर पीठ करके मुखर्जी
के घर के गेट के अंदर जाता है |  इस प्रकार इस दृश्य में भी दर्शक अलग-अलग कलाकार
को पहचान नहीं पाए |

फिल्मकार ने बताया कि पथेर पांचाली फिल्म का निर्माण करते समय अनेक समस्याओं का
सामना करना पड़ा | उदाहरणस्वरूप तीसरा दृश्य फिल्म की शूटिंग में रेलगाड़ी पर अनेक 
दृश्य दर्शाए गए किंतु जहां शूटिंग हो रही थी | गांव में रेलगाड़ी इतनी देर तक नहीं रूकती थी
सभी दृश्य नहीं फिल्माए जाते | नई तरकीब अपनाई गई वहां से निकलने वाली अलग-अलग
तीन रेलगाड़ियों पर दृश्य फिल्माए गए और फिर उन्हें आपस में जोड़ दिया गया | इस प्रकार
तीन रेलगाड़ियों का दृश्य फिल्म आने पर भी दर्शक रेलगाड़ी को नहीं पहचान पाए |


प्रश्न - भूलो की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया उसने फिल्म के किस दृश्य को पूरा
किया ?
उत्तर -
भूलो कुत्ते की मृत्यु हो जाने के कारण दूसरा कुत्ता लाया गया | फिल्म में दृश्य इस प्रकार था
कि अप्पू की मां सर्व जया पप्पू को भात खिला रही थी और वह अपने तीर कमान से खेलने के
लिए उतावला है | पप्पू   भात खाते-खाते कमान से तीर छोड़ता है और उसे लाने के लिए भाग
जाता है | उसकी मां सर्व जया उसे भात खिलाने के लिए उसके पीछे दौड़ती है | भूलो कुत्ता
वहीं खड़ा सब कुछ देख रहा है | उसका सारा ध्यान भात की थाली की ओर है और यह सारा
दृश्य भूलो कुत्ते पर ही दर्शाया गया है |  इसके बाद दृश्य में अप्पू की मां बचा हुआ भात गमले
में डाल देती है और यह बात भूलो कुत्ता का जाता है | यह दृश्य दूसरे कुत्ते से पूरा किया गया
क्योंकि भूलो कुत्ता मर चुका था |

प्रश्न - बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल है और उसका समाधान किस
प्रकार हुआ ?
उत्तर -
फिल्मकार के पास पैसे का भाव था | अतः बारिश के दिनों में शूटिंग नहीं कर सके | जब
उनके पास पैसा आया तो अक्टूबर का महीना शुरु हो चुका था | बरसात के दिन समाप्त
हो चुके थे | शरद ऋतु में बारिश होना भाग्य पर निर्भर था | लेखक हर रोज अपनी टीम
लेकर गांव में जाकर बैठ जाते थे | बादलों की ओर टकटकी लगाकर देखते रहते थे कि
आज बारिश आएगी लेकिन बारिश नहीं आती | परंतु अचानक बदल छा  जाते थे और
धुआंधार बारिश होने लगती थी इस तरह जो बारिश का दृश्य फिल्माया गया | इतना
अवश्य हुआ कि बेमौसमी बरसात में भीगने के कारण अप्पू और दुर्गा दोनों बच्चों को
ठंड लग गई |

प्रश्न - किसी फिल्म की शूटिंग करते समय फिल्मकार को जिन समस्याओं का सामना
करना पड़ता है उन्हें सूचीबद्ध कीजिए ?
उत्तर -
1. फिल्म बनाने के लिए बहुत सारे धन की आवश्यकता पड़ती है कई बार फिल्म पर
अनुमान से भी अधिक खर्च हो जाता है |
2. कलाकारों के कलाकारों का चयन करते समय बहुत सी बातो का ध्यान रखना
पड़ता है |
3. कई बार फिल्मकार को फिल्म की कहानी के अनुसार पात्र ही नहीं मिल पाते |
4. फिल्म में काम करने वाले कलाकारों में से किसी एक की अचानक मृत्यु भी
फिल्म की शूटिंग के लिए समस्या बन जाती है |
5. स्थानीय लोगों का हस्तक्षेप व सहयोग भी कई बार फिल्मकार को अपनी फिल्म
की शूटिंग किसी पिछड़े गांव में जाकर करनी होती है | जहां उन्हें गांव वालों का सहयोग
प्राप्त नहीं हो पाता कई समस्याएं खड़ी हो
जाती है |
6. प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी मौसम पर निर्भर होना पड़ता है |
7. संगीत की समस्या |


शुभकामनाएं सहित !

नीलम