Sunday, July 15, 2018

Vitan Chapter 2 वितान अध्याय दो

विद्यार्थियों !

आज हम वितान पुस्तिका का अध्याय दो करेंगे - राजस्थान की रजत बूंदें |

प्रशन - राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं ? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं
की गहराई और व्यास में क्या अंतर है ?
उत्तर -
राजस्थान में   रेत बहुत होती है | वर्षा का पानी रेत में समा जाता है जिस से नीचे की सतह
पर नमी फैल जाती है | यह नमी खड़िया मिट्टी की परत के ऊपर तक रहती है | इस नमी
क्यों पानी के रूप में बदलने के लिए 4 या 5 हाथ के व्यास की जगह को 30 से 60 हाथ
की गहराई तक खोदा जाता है | खुदाई के साथ-साथ चिनाई भी की जाती है | इस चिनाई
के बाद खड़िया की पट्टी पर रिस रिस कर कर पानी  इकट्ठा हो जाता है | इसी तंग गहरी
जगह को कई कहा जाता है यह कुएं का स्त्रीलिंग रूप है | यह कुएं से केवल व्यास में छोटी
होती है परंतु गहराई में लगभग समान ही होती है | आम कुए का व्यास 15 से 20 साल का
होता है हाथ का होता है , परंतु कुंई का व्यास चार या पांच हाथ का होता है | क्षेत्र के
आधार पर कुइयां की गहराई में अंतर आ जाता है |


प्रश्न - चेजारा के साथ गांव - समाज के व्यवहार मैं पहले की तुलना में आ
ज क्या फर्क है पाठ के आधार पर बताइए ?
उत्तर -
चेजारा अर्थात चिनाई करने वाला | कुंई  के निर्माण में यह लोग दक्ष होते हैं | इनका उस
समय विशेष ध्यान रखा जाता था | कुंई खोदने पर इन विदाई के समय तरह-तरह की भेंट
दी जाती थी इसके बाद भी उनका संबंध गांव से जुड़ा रहता था और पूरा वर्ष उन को
सम्मानित किया जाता था | फसल की कटाई के समय इन्हें अलग से फसल का हिस्सा
दिया जाता था तीज त्यौहार विवाह जैसे अवसरों पर उनका सम्मान किया जाता था |
इस प्रकार इनको भीग्रामीण समाज में सम्मान के साथ जीने का अवसर मिलता था और
उनके कार्य को सराहा भी जाता था | वर्तमान समय में इनका सम्मान उतना नहीं रहा जितना
कि पहले था | उनको काम की मजदूरी देकर संबंध खत्म कर दिए जाते हैं | अब सिर्फ
मजदूरी देकर काम करवा लिया जाता है अब स्थिति पूर्णता बदल गई है |

प्रश्न - निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुइयो पर ग्राम समाज का अंकुश लगा
रहता है लेखक ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर -
राजस्थान में खड़िया पत्थर की पट्टी पर ही कुइयो  का निर्माण किया जाता है | कुंई का
निर्माण गांव समाज की सार्वजनिक जमीन पर होता है | परंतु उसे बनाने और उसमें पानी
लाने का हक उसका अपना हक है | सार्वजनिक जमीन पर बरसने वाला पानी ही बाद में
वर्ष भर नमी की तरह सुरक्षित रहता है | इसी नमी से साल भर कुइयो में पानी भरता है
नमी की मात्रा वहां हो चुकी वर्षा से तय हो जाती है |

अतः उस क्षेत्र में हर  नई कुंई का अर्थ है पहले से तय नमी का बंटवारा इस कारण निजी
होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र से में बनी कुइयो पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है |
यदि वह अंकुश ना हो तो लोग घर घर कई-कई कुईया बना ले और सब को पानी नहीं
मिलेगा बहुत जरूरत पड़ने पर समाज अपनी स्वीकृति देता है |


प्रश्न - कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी दें?
उत्तर -
i) पालर पानी -
यह पानी का एक रुप है यह पानी सीधे बरसात से मिलता है यह पानी नदियों तालाबों
कृत्रिम जिलों बड़े-बड़े गड्ढों में रुक जाता है | इस पानी को प्रयोग में नहीं लाया जा
सकता इस पानी का वाष्पीकरण जल्दी होता है काफी पानी जमीन के अंदर चला जाता
है और अधिकांश पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है |

ii) पाताल पानी -
जो पानी भूमि में जाकर  भूजल में मिल जाता है उसे पताल पानी कहते हैं | इसे को पंप
ट्यूबवेलों आदि के द्वारा निकाला जाता है |

iii) रेजानी पानी -
यह पानी धरातल से नीचे उतरता है परंतु धरातल में नहीं मिलता है | यह पार्लर पानी
और पताल पानी के बीच का है वर्षा की मात्रा नापने में इंच या सेंटीमीटर नहीं बल्कि
रेजा शब्द का उपयोग होता है | रेज का माप धरातल में समाई वर्षा को ना पता है |
रेजानी पानी खड़िया पट्टी के कारण पताली पानी से अलग बना रहता है तथा इसे कुइयो
के माध्यम से इकट्ठा किया जाता है |

शुभकामनाएं सहित !

नीलम