विद्यार्थियों !
आज हम वितान पुस्तिका का तीसरा अध्याय करेंगे - आलो आधारि |
प्रश्न - पाठ् के किन अंशओ से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना
स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में
कोई परिवर्तन आया है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए |
उत्तर -
आलो आधार पाठ में कई स्थलों पर इस ओर संकेत किया गया है कि भारतीय समाज में पुरुष
के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है | लेखिका बेबी हालदार को पुरुष के सहारे के बिना
अपना जीवन यापन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा काम ढूंढना मकान की तलाश करना
और लोगों की गंदी नजरों का सामना करना ऐसे ही संघर्ष है | पुरुष के बिना स्त्री के जीवन
में अनेक समस्याएं आती हैं | आसपास के लोग उनसे पूछते हैं तुम्हारा स्वामी कहां है | तुम
कितने दिन से यहां रहा हो |तुम अपने स्वामी के पास क्यों नहीं जाती हो |
किसी दिन घर पहुंचते वक्त देरी हो जाए तो मकान मालिक स्त्री पूछती है | इतनी देर कहां
रह गई | कहां जाती है रोज-रोज | तू अकेली है | तुझे इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
वगैरा-वगैरा वर्तमान समय में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में काफी बदलाव आया है | स्त्री
या पुरुष के बिना स्वतंत्र रूप से रह रही है | अनेक प्रकार के कार्य करके अपना जीवन यापन
कर रहे हैं | हर क्षेत्र में पुरुष की बराबरी कर रहे हैं | उन्हें समाज में भी सम्मान की दृष्टि से
ही देखा जाता है | कुछ असामाजिक तत्व स्त्री के अकेलेपन का अनुचित लाभ उठाना चाहते
हैं | इसलिए सरकार को अकेली रहने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला आश्रम
और महिला आवास घरों का निर्माण करना चाहिए | वह राजनीति का क्षेत्र हो या खेल
का मैदान हो स्त्रियों ने हर जगह अपनी स्थिति मजबूत कर ली है |
प्रश्न - अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र मैं बेबी के सामने रिश्तों की कौन
सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर -
इस सफर में बेबी ने जान लिया कि रिश्ते दिलों से बनते हैं | तातुश उसे दिल से चाहते थे |
उन्होंने उसे बेटी बनाकर रखा था |किसी चीज की कमी नहीं होने दी | इस घर में आने से
पहले उसे बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा | उसके माता पिता भाई बंधु आदि
सबको पता था कि वह पति से अलग होकर अपने बच्चों के साथ अकेली रह रही है | कोई
भी उसकी सहायता और हालचाल पूछने नहीं आया | उसे अपनी मां की मृत्यु का समाचार
भी 7 महीने के बाद पता चला उसका घर तोड़ दिया गया | वह रात भर बच्चों के साथ
खुले आसमान में एक परिचित भोला दा के साथ बैठी रही | पास ही उसके दो भाई रहते
थे | परंतु उन्होंने उसकी खबर खोज नहीं ली | उसके सामने सभी रिश्तों की पोल खुलती
गई सभी संबंध व्यर्थ ही लगते गए उसकी सहायता अनजान लोगों में से सुनील ड्राइवर,
तातुश और भोला दा ने की औरतों ने भी उसका दर्द कम ही समझा | हर आदमी उसकी
मजबूरी का फायदा उठाना चाहता था |
प्रश्न - इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता
है घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है इस पर विचार
करिए?
उत्तर -
आलो आधारि पाठ से हमें पता चलता है कि लोगों के घरों में काम करने वाले घरेलू नौकरों
को किस प्रकार से अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | रहने के लिए अच्छी
जगह नहीं होती | बच्चों की शिक्षा का कोई प्रबंध नहीं होता | जहां वो रहते हैं आसपास
गंदगी होती है उन्हें अपनी तरह का जीवन जीने का कोई हक नहीं होता | मालिक ने जो
कहा उन्हें वही करना पड़ता है | सारा दिन काम करके भी उन्हें डांट ही मिलती है | कई बार
तो वह भूखे प्यासे ही अपना काम करते रहते हैं | किसी किसी घर में तो घरेलू नौकरों के
साथ अमानवीय व्यवहार भी होता है | छोटी सी गलती पर उन्हें पशुओं की तरह मारा जाता
है | बीमार होने पर दवा भी नहीं करवाई जाती | कई बार तो उन्हें मजदूरी के लिए भी
गिड़गिड़ाना पड़ता है | घरेलू नौकरों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है |
प्रश्न - आलो आधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक
मुद्दों को समेटे हुए हैं किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट करें ?
उत्तर -
इस पाठ के अनुसार बहुत सी समस्याएं हैं | जैसे कि परित्यक्ता स्त्री की दशा, आवाज की
समस्या, बच्चों की शिक्षा की समस्या, सार्वजनिक शौचालय की समस्या, घरेलू नौकरों
की समस्या, गंदगी की समस्या और स्त्रियों की दशा आदि |
पहली समस्या -
समाज में स्त्री की दशा को लेते हैं | एक अकेली रह रही स्त्री को समाज में ताने क्यों सुनने
पड़ते हैं ? क्या उसे अपनी इच्छा से जीने का हक नहीं है ? लोग उसे गंदी नजरों से देखते
हैं अकेली मजबूर स्त्री की मदद करने की बजाय उसे परेशान किया जाता है | उसके
अकेलेपन का कुछ लोग नाजायज लाभ उठाना चाहते हैं | कुछ ताने कसते हैं | वह अपने
काम से काम रखते हुए भी लोगों की कु दृष्टि का शिकार बनती रहती है |
दूसरी समस्या -
सार्वजनिक शौचालयों का भाव कई क्षेत्रों में घरों में भी शौचालय बाथरूम नहीं होते | ऐसे
में पुरुषों का काम तो चल जाता है | मगर स्त्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता
है | इन समस्याओं को समाज ही दूर कर सकता है | आपसी भेदभाव भुलाकर हम जाति का
सम्मान करें व असहाय लोगों की सहायता करें तभी इन समस्याओं का समाधान हो सकेगा |
प्रश्न - ‘ तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो ’ - जेठू का यह कथन रचना- संसार
के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
उत्तर -
‘तुम दूसरी अन्नपूर्णा देवी बन सकती हो’ जेठू का यह कथन लेखिका बेबी में नया उत्साह
का संचार करता है | इस कथन का आशय था कि लेखिका के जीवन की जटिलताएं उसके
आगे नहीं आ सकती | आशापूर्णा देवी ने भी अभावों - भरे जीवन में अपना लेखन जारी
रखा और नई ऊंचाइयों को छू लिया | जिस किसी में लेखन प्रतिभा है | उसे जरा सा उत्साहित
कर दे तो मैं अच्छा लेखन लिखने लग जाता है | जेठू ने लेखिका की लेखन प्रतिभा को पहचाना
था | चाहते थे कि लेखिका बेबी लिखना जारी रखें | व पत्रों के माध्यम से उनका उत्साह बढ़ाते
थे | प्रोत्साहन मिलने पर मनुष्य में काम भी कर जाता है | जिसे सोचने से भी डरता है |
प्रश्न - बेबी की जिंदगी में साथ उसका परिवार ना आया होता तो उसका जीवन कैसा
होता कल्पना करें और लिखें |
उत्तर -
बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार ना आया होता तो निश्चय ही उसका जीवन एक नरक
की तरह होता | उसे पेट भर खाना भी ना मिलता | बच्चों का पालन पोषण भी ठीक ना होता |
उसके परिवार को भीख मांगने की पड़ती | उसके बच्चे दूसरों का जूठन खा रहे होते बुरी संगत
में पड़ गए होते बेबी को भी बस्ती के गुंडों से अपनी इज्जत बचाने मुश्किल हो जाती | उसे
पढ़ने लिखने का तो अफसर ही ना मिलता | झोपड़पट्टी में असुविधाओं के साथ अपना जीवन
व्यतीत कर रही होती |
प्रश्न - बेबी के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर -
यह पाठ बेबी की आत्मकथा है बेबी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है -
i) साहसी - बेबी का चरित्र एक साहसी महिला के रूप में उभर कर सामने आता है |
वह पति के साथ अलग होकर अपने बच्चों के साथ किराए के मकान में रहती हैं | लोगों के
घरों में काम करके अपने बच्चों का पालन पोषण करती हैं | काम छूट जाने पर भी घबराते
नहीं रात भर खुले में अपने बच्चों के सामान के साथ रहती हैं | यह जीवन मैं आने वाली प्रत्येक
परिस्थिति का मुकाबला साहस पूर्वक करती है |
घरों में काम करके अपने बच्चों का पालन पोषण करती हैं | काम छूट जाने पर भी घबराते
नहीं रात भर खुले में अपने बच्चों के सामान के साथ रहती हैं | यह जीवन मैं आने वाली प्रत्येक
परिस्थिति का मुकाबला साहस पूर्वक करती है |
ii) परिश्रमी - बेबी बहुत परिश्रमी महिला है | रात उसके घर का सारा कामकाज निपटा
कर समय निकालकर पढ़ भी लेती है |
कर समय निकालकर पढ़ भी लेती है |
iii) अध्ययन शील - बेबी को इस बात का दुख है कि मैं बचपन में पढ़ लिख नहीं सकती थी |
साथ उसके घर अलमारियां साफ करते हुए उसकी नजर उसको पर पड़ती है | सोचती थी कि
उन्हें कौन पढ़ता होगा वैसे में छठी कक्षा में थी जब उसने पढ़ाई छोड़ दी थी | जब तक उसने
उसे पूछा तो उसने रविंद्र नाथ ठाकुर नज़रुल इस्लाम शरद चंद्र आदि के नाम गिनवा दिए |
साथ उसके घर अलमारियां साफ करते हुए उसकी नजर उसको पर पड़ती है | सोचती थी कि
उन्हें कौन पढ़ता होगा वैसे में छठी कक्षा में थी जब उसने पढ़ाई छोड़ दी थी | जब तक उसने
उसे पूछा तो उसने रविंद्र नाथ ठाकुर नज़रुल इस्लाम शरद चंद्र आदि के नाम गिनवा दिए |
iv) ममता से भरी हुई - बेबी को अपने बच्चों के भविष्य की बहुत चिंता रहती है |
उन्होंने पढ़ा लिखा कर सभ्य नागरिक बनाना चाहती है | रात उसकी सहायता से वह दो बच्चों
को स्कूल में प्रवेश दिला देती है | उसका बड़ा लड़का कहीं नौकरी करता था | उसका उसे पता
नहीं चलता था | तो वह व्याकुल लौटती थी | रात उसने उसे उसके बेटे से मिलवा दिया | वह
पूजा के अवसर पर अपने बड़े लड़के को भी घर ले आती है | इस प्रकार स्पष्ट है कि बेबी एक
परिश्रमी, साहसी, स्वाभिमानी एव अध्ययन शीलता वाली महिला थी |
को स्कूल में प्रवेश दिला देती है | उसका बड़ा लड़का कहीं नौकरी करता था | उसका उसे पता
नहीं चलता था | तो वह व्याकुल लौटती थी | रात उसने उसे उसके बेटे से मिलवा दिया | वह
पूजा के अवसर पर अपने बड़े लड़के को भी घर ले आती है | इस प्रकार स्पष्ट है कि बेबी एक
परिश्रमी, साहसी, स्वाभिमानी एव अध्ययन शीलता वाली महिला थी |
शुभकामनाएं सहित !
नीलम